हां मैं हिंदुओं को तोड़ रहा हूं क्योंकि पाखंड, कुरीति, मनुवाद, ऊंचनीच ही हिंदू धर्म है.-संतोष शाक्य


मैं पाखंड, कुरीति, मनुवाद, जातीय ऊंच-नीच के विरुद्ध लिखता हूं तो मनुवाद के रक्षक आ जाते हैं, और कहते हैं कि तुम हिंदुओं को तोड़ रहे हो. इससे मुझे साफ हो जाता है कि पाखंड, कुरीति और जातीय ऊंची-नीच ही हिंदू धर्म है. 

ऐसे तो ईरानियों ने हिंदू सभी भारतीयों को कहा था और हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है. चलिए ब्राह्मणवादियों के पाखंडों को अगर हिंदू धर्म का नाम दे दिया जाए तो हिंदू धर्म भारत का सबसे नया धर्म है. जिसे शैव और वैष्णवों के पाखंडों को मिलाकर तैयार किया गया है परंतु इस नए धर्म के पंडो का दावा है कि यह दुनिया का सबसे पुराना धर्म है.

मैं कहता हूं कि हिंदू धर्म में बहुत भेदभाव है तो यह लोग कहते हैं कि "किस जगह भेदभाव नहीं है" यह बताओ. मैं इन पाखंडियों से कहना चाहूंगा कि भेदभाव तो हर जगह है परंतु तुम्हारी तो नींव ही भेदभाव पर रखी गई है. 

भेदभाव अन्य धर्म के लोगों के बीच भी होता होगा परंतु अपने ही धर्म के मानने वालों के बीच, संस्थागत भेदभाव अर्थात किताब लिखकर भेदभाव पैदा करने वाले केवल ब्राह्मणवादी पंडा-पुरोहित ही है.

कोई भी मत, धर्म, पंथ अपने ही धर्म के मानने वालों के बीच कभी भी संस्थागत भेदभाव नहीं करता. जन्म से ही भेदभाव पैदा करने वाला विधान मनुस्मृति तुम्हारे धर्म का विधान है. ऐसा विधान दुनिया के किसी भी धर्म का हो, तो मुझे दिखाओ. धूर्तता और नालायकी में तुम्हारी बराबरी कोई नहीं कर सकता.

तुम्हारे पाखंडी धर्म में कुछ बच्चे सिर्फ इसलिए नीच बन जाते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे परिवार में जन्म लिया होता है, जिन्हें तुमने किताब लिखकर नीच साबित किया हुआ है और तुम कहते हो कि मैं हिंदू धर्म को तोड़ रहा हूं, इतना कुछ होने के बाद भी तुम जाहिलों को शर्म नहीं आती.

तुम्हारी किताबें कहती हैं कि ब्राह्मण, ब्रह्मा के मुख से पैदा हुआ है और शुद्र पैरों से पैदा हुआ है. मैं यही सच लोगों को बता दूं, तो मैं हिंदू धर्म को तोड़ रहा हूं. अब तुम यह बताओ कि मुख से कैसे संतान पैदा होती है और पैरों से कैसे संतान पैदा होती है.

 गोमेध यज्ञ करने वाले, हजारों-हजारों गायों को काटकर यज्ञ में हवन कर देने वाले, यह लोग आज गाय को बचाने की बात करते हैं. कोई अछूत दलित अगर मरी हुई गाय के पास भी मिल जाए तो उसकी जान ले लेते हैं. तुम कहते हो कि गाय में 84 करोड़ देवता रहते हैं कब तक जनता को मूर्ख बनाओगे और गाय को अपनी राजनीति का केंद्र बनाए रहोगे. तुम लोगों ने गाय को शोषण की वस्तु बनाकर रख दिया है और कहते हो हम गाय बचा रहे हैं. मैं यह सच्चाई देश के सामने रख दूं तो मैं हिंदुओं को तोड़ रहा हूं. देश के सबसे बड़े-बड़े बूचड़खाने तथाकथित ब्राह्मणवादी अगड़ी जाति हिंदुओं के हैं.

पंडा-पुरोहितों तुम हर साल मंदिरों में अरबों रूपया इकठ्ठा करते हो परंतु मैंने आज तक किसी मंदिर को गरीब हिंदुओं के लिए स्कूल खोलते नहीं देखा. 

तुम कहते हो कि हम हिंदुओं की बात कर रहे हैं सीधे क्यों नहीं कहते कि तुम्हारा हिंदू धर्म एक परसेंट ब्राह्मणों का शासन कायम करने के लिए बनाया गया षड्यंत्र है. मैं यही बात जनता को समझाता हूं, जिससे तुम डरे हुए हो और कहते हो मैं हिंदुओं को तोड़ रहा हूं. सच तो यह है कि मैं तुम जैसे ब्राह्मणवादी पंडा पुरोहितों की टांगे तोड़ रहा हूं.

अच्छा यह बताओ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, अछूत आदि वर्ण किसने बनाए, हिंदुओं को मैं तोड़ रहा हूं या तुमने तोड़ा है.
7000 जातियों में क्रमिक भेदभाव की व्यवस्था किसने बनाई हिंदुओं को मैं तोड़ रहा हूं या तुमने तोड़ा.

मंदिरों में जाति के अनुसार पुजारी रखने की और जाति के अनुसार प्रवेश की व्यवस्था किसने बनाई हिंदुओं को मैं तोड़ रहा हूं या तुम..

अगर इन सब भेदभाव, ऊंच-नीच, वर्णवाद आदि के विरुद्ध लिखना हिंदुओं को तोड़ना है तो हां मैं हिंदुओं को तोड़ रहा हूं.  

मैं पिछड़े वर्ग और दलित वर्गों से कहना चाहूंगा कि ऊंच-नीच, भेदभाव, वर्णवाद के खत्म होने से आपका फायदा है. मुझसे दिक्कत केवल ब्राह्मणवादी पंडा-पुरोहित वर्ग को हो रही है क्योंकि उनका धंधा ही वर्ण व्यवस्था, ऊंच-नीच, पाखंड, भेदभाव, मंदिर कर्मकांड आदि पर टिका है. इसलिए वह मुझे हिंदुओं को तोड़ने वाला बता रहे हैं.

 मैंने बहुत बारीकी से चीजों को अपने लेख में लिखा है. अब मैं यह आप पर छोड़ता हूं कि आप तय करें कि हिंदुओं को मैं तोड़ रहा हूं इन ब्राह्मणवादी पंडापुरोहितों ने हिंदुओं को पहले से ही बुरी तरह तोड़ रखा है?

जय राष्ट्रपिता फुले, जय शाहू महाराज, जय भीम, जय भारत

-संतोष शाक्य, लेखक

नोट- लेख को शेयर अवश्य करें, ब्रह्मणवादी पंडा पुरोहित की काली सच्चाई लोगों तक पहुंचायें.

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