विदेशी मनुवादी ईरानी वैदिक मत को छोड़ो, देशी समतावादी भारतीय बौद्ध मत की ओर लौटो ~ संतोष शाक्य

तथाकथित ब्राह्मण संत धीरेंद्र कुमार शास्त्री उसके तथाकथित सत्संग में आए एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अछूत कहकर उसका अपमान कर रहा है और कह रहा है कि छूना नहीं है हमें, अछूत आदमी है तू।


इसलिए कहता हूं विदेशी मनुवादी ईरानी वैदिक मत को छोड़ो, देशी समतावादी भारतीय बौद्ध मत की ओर लौटो।

ब्राह्मण धर्म, दर्शन, मन दुनिया में सबसे गंदा है। झूठा श्रेष्ठता बोध हमेशा उसके मन में रहता है। उससे निपटने का एक ही तरीका है कि उसके फर्जी रीति-रिवाज, दर्शन, ग्रंथ आदि सभी त्याग दिए जाएं। इनके सभी फर्जी रीति रिवाज, दर्शन, ग्रंथ, प्राचीन भारतीय चीजों को तोड़ मरोड़ कर बनाए गए हैं।

भारत को फिर से विश्व गुरु और विश्व विजेता बनाना है तो ऐसा करना ही होगा।

पिछले 600 वर्षों में तुर्क, शेख और मुगल शासकों की सरपरस्ती (छत्रछाया) में और उन्हें अपना रिश्तेदार बनाकर जो पागलपन ब्राह्मण लेखकों, पंडा-पुजारियों, शासकों ने फैलाया है उससे बड़ा पागलपन कोई हो नहीं सकता।

1200 ईस्वी से पहले का भारत देखिए और उसके बाद का भारत देखिए। आज हम वर्णवाद के कारण इतने नीचे चले गए हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

~संतोष शाक्य

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