देश भर के किसान के दम पर जाट कभी प्रधानमंत्री बना पर उसके बाद जाट जाति के लोगों ने अपने अंदर जातिय अहंकार पाल लिया और पूरी राजनीति खत्म हो गई, आज हरियाणा में भी गैरजाट मुख्यमंत्री है.
यूपी में अहीरों ने जाटों का पैटर्न फॉलो किया बहुत नुकसान उठाया, 2022 में अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं, बिहार के जादवों के साथ यही हुआ.
जाटवों का यही हुआ, उनकी कोर पार्टी आज बस टिकट बेचने की हालत में बची है, चंदा कोई नहीं दे रहा, लोगों का भरोसा उठ गया बहन जी से और नुकसान पूरे जाटव समाज ने उठाया.
संदेश साफ है जो जातियां आगे सत्ता में आयेंगी उन्हें इस सबसे सबक लेना होगा अन्यथा उनका भी यही हाल होगा.
अति पिछड़े वर्ग का व्यक्ति जल्दी ही मुख्यममत्री होगा परंतु ध्यान रहे आपके आदर्श कर्पूरी ठाकुर होने चाहिये. उससे भी बढ़कर शहीद बाबू जगदेव जी आपके आदर्श हो सकते हैं जिन्होंने खुद मुख्यमंत्री पद नहीं लिया. जबकि शहीद जगदेव जी बिहार की बाहुल्य संख्या वाली कोईरी-कृषक जाति से आते थे.
~संतोष शाक्य
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