जातीय सामाजिक न्याय का काला सच - संतोष शाक्य


अभिजात्य सामान्य वर्ग का व्यक्ति आरक्षण का सरलीकरण गरीब, अमीर में करना चाहता है जबकि वर्ण, वर्ण आधारित जाति भेदभाव नहीं छोड़ना चाहता. वर्णवाद उसकी कोशिकाओं में दौड़ता है. वर्ण आधारित भेदभाव की नींव रखने वाले ग्रंथो में कोई सुधार/बदलाब नहीं करना चाहता बल्कि उससे उलट वर्ण पर आधारित राष्ट्र बनाना चाहता है.
मजबूत ओबीसी वर्ग का व्यक्ति ओबीसी आरक्षण का सरलीकरण करना चाहता है जिससे उसे फायदा मिलता रहे वो ओबीसी आरक्षण के अंदर सामाजिक न्याय के आधार पर बंटबारा नहीं होने देना चाहता.
मजबूत एससी जाति का व्यक्ति एससी आरक्षण का सरलीकरण चाहता है जिससे उसे फायदा होता रहे. वह नहीं चाहता कि एससी वर्ग के अंदर भी सामाजिक न्याय की बात हो.
सब चतुर हैं... सब वर्णवादी है... जिसकी न कहो वो ही ठीक...
~संतोष शाक्य

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