पुत्र मोह, भ्राता मोह, पुत्री मोह, भतीजा मोह, बस इतनी सी है समाजवादी और बहुजनवादी राजनीति ~ संतोष शाक्य

पुत्र मोह, भ्राता मोह, पुत्री मोह, भतीजा मोह, बस इतनी सी है समाजवादी और बहुजनवादी राजनीति। लोकतंत्र की धज्जियां सबसे ज्यादा यही लोग उड़ा रहे हैं। राजनैतिक पार्टीयों पर कब्जा करके राजकुमार और राजकुमारी बन कर बैठे हैं और बात लोकतंत्र की करते हैं।

संविधान खतरे में होने की बात करके, महंगाई की बात करके, शिक्षा महंगी होने की बात उठाकर यह लोग सिर्फ अपनी अनैतिक, परिवारवादी सोच को छुपाने की कोशिश करते हैं।
महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और संवैधानिक खतरे को इन लोगों ने ही पैदा किया है क्योंकि यहां पुत्र मोह, पुत्री मोह में अक्षम लोग नेतृत्वकर्ता बन गए हैं और सक्षम लोग इन पार्टियों में दिहाड़ी मजदूर से भी बुरी स्थिति के कार्यकर्ता बने हुए हैं। हमने खुद इन एकाधिकारवादी पार्टियों में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को दर-दर भटकते और चापलूसों को चुनाव लड़ते देखा है।

युवाओं को अब विद्रोह करना होगा और इन पार्टियों से अक्षम नेतृत्व को हटाकर नेतृत्व अपने हाथ में लेना होगा।अन्यथा देश की और देश के बहुसंख्यक समाज के अधिकारों की मिट्टी पलीत होती रहेगी। सारे संसाधन और हिस्सेदारी आपके हाथ से निकल जाएगी।
जो लोग इन पार्टियों के गुलाम बने हुए हैं उन से मैं पूछना चाहता हूं कि तुम अपने अधिकार बचाना चाहते हो या इन परिवारों की गुलामी करते रहोगे।
यदि तुम अपने अधिकार बचाना चाहते हो और सच में अपने समाज के हितेषी हो तो असली बीमारी को समझो और उसके खिलाफ बात करना शुरू करो अन्यथा हम सब डूब जाएंगे।
मेरे लिए तो मेरे अधिकार, मेरे लोगों के अधिकार, मेरे लोगों की शिक्षा, मेरे लोगों का रोजगार, मेरे लोगों का व्यापार और मेरे लोगों का सम्मान महत्वपूर्ण है इसलिए मैं यह सब लिख पा रहा हूं।
आप भी सच लिखो अपने लोगों के अधिकार बचाओ और राजनीति पर कब्जा करके बैठे इन राजनैतिक परिवारों को हटाओ।

अमर शहीद बाबू जगदेव प्रसाद, नेताजी मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, रामविलास पासवान, बहन कुमारी मायावती जैसे सैकड़ों नेताओं ने हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ी इसका अर्थ यह नहीं है कि अब इनके परिवार के लोग अपनी-अपनी पार्टियों पर कब्जा करके आजीवन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे और अपने निजी हितों के लिए बहुसंख्यक समाज के हितों की और बहुसंख्यक समाज के अन्य प्रतिभाशाली लोगों की राजनीतिक हत्या करते रहेंगे।
जिन नेताओं ने समाज की लड़ाई लड़ी उनका सदैव सम्मान है पर उसके नाम पर हम उनके परिवार के नेतृत्व गुण से विहीन नेताओं को क्यों झेलें और तब की जब इन नेतृत्व गुण से विहीन नेताओं के कारण हमारे अधिकार ही खतरे में पड़ गए हों।

~संतोष शाक्य

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