मनुस्मृति का काला सच


पावन भूमि भारत के नाशक बनकर बैठे हैं
जिनका अतीत काला है वे शासक बनकर बैठे है

पढ़ने का हक़ बस हमको है जिसने यह नियम बनाए थे 
वे आजकल स्कूलों के प्रबंधक बनकर बैठे हैं

जिनके पूर्वजों ने मनुस्मृति के जैसे काले ग्रंथ लिखे 
वे आजकल अखबारों के प्रकाशक बनकर बैठे हैं

-संतोष शाक्य

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