केवल सरकार बदलती है कुछ और नहीं बदलता है

अन्याय दर्द और पीड़ा का यह दौर नहीं बदलता है
केवल सरकार बदलती है कुछ और नहीं बदलता है

अत्याचारों का मौसम घनघोर नहीं बदलता है
केवल सर बदले जाते हैं सिरमौर नहीं बदलता है

- संतोष शाक्य, कवि

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