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ग़ज़ल
केवल सरकार बदलती है कुछ और नहीं बदलता है
केवल सरकार बदलती है कुछ और नहीं बदलता है
Santosh Shakya
December 13, 2019
अन्याय दर्द और पीड़ा का यह दौर नहीं बदलता है
केवल सरकार बदलती है कुछ और नहीं बदलता है
अत्याचारों का मौसम घनघोर नहीं बदलता है
केवल सर बदले जाते हैं सिरमौर नहीं बदलता है
- संतोष शाक्य, कवि
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