जुनैद को फांसी और इस्लाम की सच्चाई - संतोष शाक्य

मैंने एक कहानी सुनी थी कि एक बुढ़िया थी, जो पैगंबर मोहम्मद से बहुत नफरत करती थी. वह रोज उनके ऊपर कूड़ा फेंकती थी, परंतु पैगंबर साहब रोज रास्ते से निकल जाते थे. जब एक दिन वे निकले तो उसने कूड़ा नहीं फेंका, पैगंबर ने लोगों से पूंछा तो पता चला वह बीमार है. पैगंबर उससे मिलने पहुंचे और उसका हाल चाल पूंछा. इसपर औरत बहुत शर्मिंदा हुई और उसने अपने किये की माफी मांगी, ऐसे थे पैगंबर मोहम्मद. आप कहानी से समझ सकते हैं कि मुहम्मद कितने करूण रहे होंगे.
परन्तु उनके ही रास्ते पर चलने का दावा करने वाले मुसलमान व मुसलमान देश जो खुद को मुहम्मद जी का अनुयायी कहते हैं, करूणा का एक अंश भी उन लोगों के आस पास से नहीं गुजरता. 
आश्चर्य है कि ईशनिंदा के मामले में पाकिस्तान के एक प्रोफेसर को मौत की सजा सुनाई गयी है, प्रोफेसर का नाम है "जुनैद हफीज" जो कि पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे. उन्हें 2013 में ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, कहा जाता है कि उन्होंने फेसबुक पर पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया था. छः साल से वे जेल में हैं और इसी महीने उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है. पाकिस्तान में चरम पंथी गुट  लगातार जुनैद की हत्या करने का प्रयास करते रहे हैं, पाकिस्तानी आवाम इस कदर मजहबी हो चुकी है की जेल में बंद कैदी भी कई बार जुनैद पर हमला कर चुके हैं. पिछले बरस जुनैद के वकील की भी हत्या हो चुकी है, चरमपंथी कोर्ट में जुनैद को अपनी बात रखने का हक भी नहीं देना चाहते. जुनैद को अपनी बात रखने का हक भी नहीं दिया जा रहा है, उनके मामले की सुनवाई जेल में ही की जा रही है. विश्व की सभी मानवाधिकार संस्थाओं ने इस निर्णय की निंदा की है एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे मानवता के विरुद्ध बताया है. पिछले दिनों आशिया बीवी के केस में ऐसा देखा गया था, जो कि एक ईसाई महिला थी, जिसे पाकिस्तान के कट्टरपंथी मुस्लिमों ने ईशनिंदा का आरोप लगाकर उसकी कई बार हत्या करने का प्रयास किया था. अंत में 10 साल जेल में रहने के बाद आशिया बी को पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्दोष करार दिया था.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को और उदारवादी लोगों को लगातार ईशनिंदा के कानून का शिकार बनाया जाता रहा है. जिसके तहत जुनैद को शिकार बनाया गया है. जिस समाज में मजहब तथा अन्य सामाजिक विषयों पर प्रश्न पूछे जा सके,  वह समाज कभी विकास नहीं कर सकता. मुस्लिमों में एक ऐसी मानसिकता विकसित हो गई है कि वह लोग अपने सांचों में बने रहना चाहते हैं. उनके बीच से ही यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी बात पर प्रश्न उठाता है तो उसे ईशनिंदा का आरोप लगाकर यह लोग उसकी हत्या कर देते हैं. सारी दुनिया के मुसलमान सिर्फ दो ही तीन चीजों को लेकर लड़ रहे हैं जिसमें प्रमुख हैं उनकी किताब कुरान, शरीयत और पैगंबर मोहम्मद. पाकिस्तान से लेकर मिस्र् तक उनकी लड़ाई इन्हीं दो तीन मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. 
एक वह इस्लाम है जो मोहम्मद साहब का है जिसकी कहानी मैंने आपको सबसे पहले सुनाई थी, जिसके तहत मोहम्मद अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली एक औरत को भी माफ कर देते हैं और उसके बीमार होने पर उसका हालचाल जानने जाते हैं. एक आजकल का इस्लाम है, जिसके तहत मुसलमान, गैर मुसलमानों को खत्म कर देना चाहता है और  मुस्लिम देशों के अंदर पनप रहे उदारवादियों को ईशनिंदा के नाम पर खत्म कर देना चाहता है. पाकिस्तान में 1947 में गैर मुस्लिमों की संख्या पाकिस्तान की आबादी की 23% थी जो आज केवल 3% रह गई है अब आप समझ सकते हैं की गैर मुस्लिमों का वहां के मुस्लिमों ने किस तरह शोषण किया है और या तो उनकी हत्या कर दी या उनका धर्म परिवर्तन जबरदस्ती करा दिया गया है.
 दुनिया में आज उदारवादी पैगंबर मोहम्मद का इस्लाम कहीं दिखाई नहीं देता, आज एक नये तरह का इस्लाम  उदय हो गया है जिसके तहत  आजकल के मुसलमान  दुनिया भर में चरमपंथ की मिसाल बन गए हैं. मुल्ला मौलानाओं और चरमपंथियों के निशाने पर आज का उदारवादी मुसलमान  सबसे पहले है, क्योंकि यह उदारवादी वर्ग सुधारों की मांग कर रहा है और मुल्ला वर्ग नहीं चाहता कि किसी तरह का सुधार हो.
-संतोष शाक्य

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