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Chatrapati Shivaji maharaj |
आज भारत के महान शासक छत्रपति शिवाजी राजे का जन्म दिवस है, जिन्होंने मध्य युग में भारत के सबसे न्यायप्रिय शासन की स्थापना की.
मनुवादी लोग, छत्रपति शिवाजी महाराज को लगातार अपने सांचे में फिट करके इस्तेमाल करने का प्रयास करते रहते हैं और उनका इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ खूब किया जाता है. आज हम इस पर ही बात करेंगे कि क्या शिवाजी महाराज ने मनुवादी हिंदू शासन स्थापित किया था.
साथियों आपको जानकर हैरानी होगी शिवाजी महाराज जी जिस हिंदवी स्वराज की बात करते थे वह हिंदू(मनुवादी) राज बिल्कुल नहीं था. शिवाजी महाराज ने अपने शासन प्रशासन में शूद्रों एवं अछूतों के लिए कोई भेदभाव नहीं किया था. शिवाजी महाराज ने महारों को अपनी सेना की प्रथम और सबसे सशक्त टुकड़ियों के रूप में शामिल किया था. शिवाजी महाराज को न्याय प्रिय सम्राट कहा जाता है, उन्होंने किसी के साथ जाति व धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया. शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के मराठा कुणबी किसान जाति वर्ग से आते थे, जिसे उत्तर भारत में आप कुर्मी, कोइरी, माली, धनगर, किसान आदि वर्गों के समतुल्य मान सकते हैं.
मनुवादियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ खूब भेदभाव किया. जब उन्होंने एक बड़ा साम्राज्य स्थापित कर दिया तब ब्राह्मणों ने उनका राजतिलक यह कहकर नहीं किया कि वह शूद्र हैं. तब उन्हें राणा का वंशज साबित करके उनका राजतिलक कराया गया और जो कुनबी शासक बन गए थे उन्हें मराठा क्षत्रिय बता दिया गया, जो कुनबी शासक नहीं बन पाए वह आज भी महाराष्ट्र में शूद्र में आते हैं.
जहां तक मुसलमानों का प्रश्न है तो छत्रपति शिवाजी महाराज ने किसी मुसलमान के साथ कोई भेदभाव नहीं किया बल्कि उनके कई बड़े योद्धा मुसलमान थे, उनकी सेना का सेनापति भी मुसलमान था. यह खूब प्रचारित किया जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज मुसलमानों के खिलाफ लड़ रहे थे, यह पूरी तरह गलत है छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा अभियान मुगलों के खिलाफ था. उनकी लड़ाई मुगलिया भेदभाव से थी न कि किसी मुसलमान से, उनके साम्राज्य में मुसलमान और सूफी संत बड़ी सुख और चैन से रहते थे.
मनुवादी ब्राह्मण धर्म में महिलाओं के लिए कोई सम्मान नहीं था परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज ने महिलाओं को भी पूरा सम्मान दिया एवं उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया.
ब्राह्मण पेशवाओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ लगातार षड्यंत्र किए क्योंकि वह अपना मनुवादी साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे. इसी बात को लेकर एक बार छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक मनुवादी ब्राह्मण कृष्ण भास्कर कुलकर्णी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. छत्रपति शिवाजी महाराज ने ब्राह्मणों के अधिकतर विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे, जिसके कारण मनुवादी उनसे बहुत चिढ़ते थे.
शिवाजी महाराज के देहांत के पश्चात पेशवाओं का षड्यंत्र सफल हुआ और पेशवाओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या कर दी और मराठा साम्राज्य का आधिपत्य पेशवाओं के नियंत्रण में आ गया. पेशवाओं के सत्ता में आने के बाद भारत का सबसे वीभत्स दौर शुरू हुआ जिसमें पेशवाओं ने शूद्रों और अछूतों को उनके मौलिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया. महारों अछूतों की तो यह स्थिति कर दी गई कि वे गले में हांडी लटकाकर चलते थे और पीछे झाड़ू बांधकर चलते थे. हांडी थूकने के लिए और झाड़ू रोड पर बने उनके पद चिन्हों को मिटाने के लिए.
छत्रपति शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज समतामूलक भारतीय स्वराज था, न कि संघी मनुवादियों का वर्णवादी हिंदू राज. वर्णवादी मनुवादी संघी हिंदू राज की स्थापना, छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज की हत्या करके, पेशवाओं ने की. जिसका दंश भारत आज भी झेल रहा है.
ब्राह्मण पेशवाओं ने तो छत्रपति का पूरा इतिहास ही समाप्त कर दिया था परंतु महात्मा ज्योतिबा राव फुले ने अंग्रेजी काल में छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास का पुनर्लेखन एवं पुनरावलोकन किया. महात्मा ज्योतिबा राव फुले ने छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि ढूंढी एवं छत्रपति संभाजी महाराज की समाधि ढूंढी और अंग्रेजों से उसका संरक्षण करने का अनुरोध किया.
हमें धन्यवाद करना चाहिए महात्मा ज्योतिबा राव फुले का जिन्होंने आधुनिक भारत में शिवाजी महाराज के सपने को आगे बढ़ाया और सभी समाज के लिए शिक्षा की बात की. फुले ने ही हमें छत्रपति शिवाजी महाराज के खोए इतिहास से परिचित कराया.
मैं मध्य युग के सबसे महान राजा, महान योद्धा, समतामूलक समाज के संस्थापक, दूरदर्शी, बहुजन कल्याणक छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मदिन पर उन्हें शत शत बार नमन करता हूं. आप हमारी स्मृतियों में सदैव अमर रहेंगे.
जय सम्राट अशोक, जय शिवाजी, जय साहू जी, जय महात्मा फुले, जय अंबेडकर, जय भारत
-संतोष शाक्य, कवि & लेखक
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2 Comments
Bahut Uttam lekh apko sahriday dhanyabad
ReplyDeletemahann lekh
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