दिल्ली में भड़के भीषण दंगों ने यह साफ कर दिया है कि लोगों में एनपीआर, एनआरसी एवं सीएए को लेकर भयानक भ्रम फैला हुआ है. दिल्ली दंगे में मरने वाले की संख्या 33 हो गई है. सरकार उस भ्रम को दूर करने में असफल रही है. सरकार ने कहा है कि सीएए के माध्यम से हम नागरिकता दे रहे हैं नागरिकता ले नहीं रहे, परंतु फिर भी लोगों के बीच बहुत से भ्रम फैले हुए हैं.
सीएए, एनपीआर की बात करें तो इनको लेकर बहुत से सवाल तो खड़े होते ही हैं और एनआरसी तो बहुत से भारतीय नागरिकों की नागरिकता को खतरे में डालने वाला है. अगर हम असम की ही बात करें तो असम में 18 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए. इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जोकि भूमि धारक हैं और भारत के ही नागरिक हैं. बार-बार यह बात कही जाती है, बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ करने वाले अधिकतर लोग मुस्लिम है और असम एनआरसी के माध्यम से सरकार ने केवल 5 लाख मुस्लिमों को भारत की नागरिकता से वंचित किया है, जबकि 13 लाख हिंदुओं को नागरिकता से वंचित कर दिया गया है. अब सवाल खड़ा होता है कि क्या गारंटी है जब पूरे देश में एनआरसी होगा तो करोड़ों हिंदू नागरिकता से वंचित नहीं किए जाएंगे और ऐसे मुस्लिम जो भारतीय नागरिक ही हैं, उनकी नागरिकता नहीं जाएगी. जो लोग एनआरसी को लेकर शांतिप्रिय प्रदर्शन कर रहे हैं उनका डर जायज है सरकार को उनके प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए.
दूसरी बात सीएए की कर लेते हैं, सरकार ने कहा है कि सीएए के माध्यम से नागरिकता दी जाएगी, नागरिकता ली नहीं जाएगी. सरकार कहती है की है नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए, वहां के धार्मिक अल्पसंख्यकों को दी जाएगी जिन्हें धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया गया है एवं जो लोग 2014 तक भारत में आ गए हैं. परंतु सरकार ने सीएए कानून में कहीं भी प्रताड़ना शब्द का उल्लेख नहीं किया है. प्रश्न खड़ा होता है की सरकार किस आधार पर तय करेगी कि कौन व्यक्ति पाकिस्तान में प्रताड़ित है, कौन नहीं. भारतीय नागरिक मुसलमान को अब यह डर भी है कि कहीं उसकी नागरिकता किसी कारणवश, कागज न दिखा पाने के कारण चली गई, तो उसे नागरिकता नहीं मिल पाएगी. क्योंकि न ही चुनाव पहचान पत्र नागरिकता का प्रमाण है और न ही आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण है.
भारतीय नागरिक हिंदू इस बात पर खुश है कि अगर उनकी नागरिकता कागज न दिखा पाने के कारण चली गई तो उन्हे सीएए के माध्यम से नागरिकता मिल जाएगी. शायद इन लोगों ने पढ़ा नहीं है कि सीएए के माध्यम से उन्हीं को नागरिकता मिलेगी जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आए हैं, अब आप खुद सोच लीजिए कि आप कैसे साबित करेंगे कि आप पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश से आए वहां के अल्पसंख्यक है. जो लोग विदेश से भारत में शरण लेते हैं उनके लिए सीमा पर एक रजिस्टर भरना होता है, जिन हिंदुओं की नागरिकता एनआरसी होते समय जाएगी वह अपना नाम सीमा पर एंट्री के रजिस्टर में कैसे लिख पाएंगे. एनआरसी के माध्यम से भारत के करोड़ों हिंदू भी नागरिकता से वंचित हो जाएंगे, जैसे कि असम में 13 लाख हिंदू नागरिकता से वंचित हो गए हैं. सरकार भी यह बात पहले कह चुकी है, सीएए के माध्यम से केवल 36 हजार लोगों को नागरिकता दी जाएगी. जो लोग खुश हो रहे हैं कि अगर उनकी नागरिकता जाती है, तो सीएए के माध्यम से नागरिकता ले लेंगे, उन्हें ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि सीएए केवल उन्हीं को नागरिकता देगा जो खुद को पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आया हुआ साबित कर पाएंगे. जब आप खुद को भारतीय नागरिक होते हुए भारत का नागरिक साबित नहीं कर पाएंगे तो आप खुद को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का प्रताड़ित अल्पसंख्यक कैसे साबित कर पाएंगे. जो लोग सोच रहे हैं कि एनआरसी से केवल मुस्लिमों को समस्या होगी, वे लोग मामले को समझ ही नहीं पाए हैं.
यदि एनआरसी होता है तो जिस प्रकार असम में 12 लाख हिंदू जनसंख्या से वंचित हुए हैं तो यदि मैं मोटा-मोटा आकलन करूं तो देश में लगभग 6 करोड हिंदू नागरिकता से वंचित हो जाएंगे. दो करोड़ की जनसंख्या में यदि 12 लाख हिंदू बाहर होते हैं, तो 150 करोड़ में लगभग 6 करोड बाहर होंगे. खासकर दलित और पिछड़े वर्ग के ऐसे लोग जिनकी सामाजिक चेतना पिछले 10 वर्षों के अंदर ही विकसित हुई है, इससे पूर्व तो इन लोगों में कोई भी चेतना नहीं थी. आदिवासी समाज में आज भी कागजों को लेकर कोई चेतना नहीं है 80% आदिवासी एनआरसी के माध्यम से अपनी नागरिकता खो बैठेंगे. पिछड़े वर्ग के मुस्लिम भी बहुत अधिक जागरूक नहीं है इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपनी नागरिकता खो बैठेंगे. कई सारे भ्रम जनता के बीच बैठे हुए हैं, उसके ऊपर से भाजपा नेता लगातार मजहबी और और उन्मादी भाषण दे रहे हैं, जिसके माध्यम से धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा सके. मीडिया भी लगातार मुद्दों को धार्मिक बना रही है और दिल्ली में हुए मौजूदा दंगे पर भाजपाई पत्रकार बहुत अधिक प्रसन्न है, लोगों को भ्रमित करने के उनके मंसूबे सफल हो चुके हैं.
लोग एनआरसी, एनपीआर और सीएए को एक करके देख रहे हैं. मुसलमानों को लगता है कि भविष्य में एनआरसी के कड़े नियम बनाकर बहुत सारे लोगों की नागरिकता ले ली जाएगी और उसके बाद केवल मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा, क्योंकि बाकी लोग सीएए के माध्यम से नागरिकता ले लेंगे. इन लोगों का प्रश्न जायज है सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि भविष्य में एनआरसी से जिसकी भी नागरिकता जाएगी, सरकार किसी को भी सीएए के माध्यम से नागरिकता नहीं देगी. सरकार इस पर कोई भी स्पष्टीकरण देने को तैयार नहीं है जिसके कारण भ्रम और भी पुख्ता होता जा रहा है.
इस समय हिंदू, मुस्लिम, दलित, पिछड़ा, आदिवासी सभी भ्रमित है, कोई भी नहीं बता पा रहा कि भविष्य में क्या होने जा रहा है. मेरे हिसाब से एक बात पक्की है कि अगर सरकार ने इन सब सवालों के उत्तर नहीं दिए तो भविष्य में बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. मोदी सरकार देश को गड्ढे में ले जा रही है. दूसरी बात पक्की है कि अगर एनआरसी होता है तो करोड़ों भारतीयों की नागरिकता खतरे में है.
-संतोष शाक्य, लेखक
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