शील दे गए सदाचार दे गए
बुद्ध तुम्हे कितना प्यार दे गए
अरे तुमने उन्हें कुछ नहीं दिया
बुद्ध तुम्हे प्रेम का संसार दे गए
जीव और जीवनों का सार दे गए
तुमको ध्यान रूपी उपहार दे गए
सभी जीव हैं समान कह गए
सर्वोपरि है श्रावको ध्यान कह गए
जीव और नारियों का मेरे भाइयो
मत करो कभी अपमान कह गए
बुद्ध मात भारती की आन बान हैं
सर्वोपरि विश्व में बुद्ध ज्ञान है
जीव को क्यूँ मारते हो पूछते रहे
जीव पर दया करो बयान दे गए
सोचता हूँ बुद्ध को कैसे अब नमन करूँ
कैसे दूर दुर्गति से अपना ये मन करूँ
डूबती नाव से कैसे किनारा करूँ
मर रहे हैं जीव कैसे विचारा करूँ
-संतोष शाक्य
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