मीडिया- देश का दलाल नंबर 1 -संतोष शाक्य

सुना था कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, परन्तु देखा तो पाया कि मीडिया दलाली का पहला स्तंभ बन चुका है.
वैसे तो आप लोग भी जानते होंगे कि भारत का मीडिया किस तरह से चंद नेताओं की दलाली कर रहा है. पहले से ही भारत का मीडिया भारत का नहीं, देश के चंद वर्गों का मीडिया है.
 देश के मीडिया के कुछ घोटालों की बात करें तो सबसे बड़ा घोटाला यह है कि यह लोग कभी भी देश की समस्याओं पर ध्यान नहीं देते. देश के बहुसंख्यक गरीब, पिछड़े और दलित समाज को न ही मीडिया में कवरेज मिलता है, न ही उनके मुद्दों को.
 तात्कालिक विषयों पर यदि बात करें तो कोरोना संकट में दलाल मीडिया का पूरा फोकस पाकिस्तान और चीन पर है. मीडिया यह दिखाने में लगा है कि किस तरह चीन और अमेरिका की लड़ाई चल रही है, किस तरह पाकिस्तान कोरोना के कारण बर्बाद हो रहा है. आप जानते होंगे कि कोरोनावायरस की लड़ाई में भारत की हालत पाकिस्तान से भी खराब है परंतु मीडिया का ध्यान पाकिस्तान पर है. मीडिया यह बिल्कुल नहीं दिखा रहा कि किस तरह करोड़ों मजदूर सड़कों पर भटक रहे हैं, सैकड़ों की संख्या में भूख और गरीबी से मौतें हो रही है. यही भारत के दलाल मीडिया का भयावह चेहरा है.

 मीडिया रोज इस तरह के शो लेकर आता है, जिसका जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं होता. कार्यक्रमों के नाम होते हैं-

"मिल गई कुंभकरण की गुफा"
"हमने राम के धनुष को खोज निकाला"
"मिल गई दुर्गा की गुफा"

ऐसे ही फर्जी पौराणिक चरित्रों पर घंटो कार्यक्रम चलाकर, जनता केे वैज्ञीनिक दृष्टिकोण की हत्या की जाती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण की हत्या करने के साथ-साथ, गरीबी, भुखमरी, किसानों की आत्महत्या आदि मुद्दों से भटकाया जाता है.

 डिबेट टीवी चैनलों का सबसे गरमा गरम मसाला है. रोज ऐसे मुद्दों पर डिबेट चलाए जाते हैं, जिनका जनता के हितों से कोई सरोकार नहीं होता. कभी आपने कोई मुद्दे पर डिबेट होता देखा हो तो मुझे भी बताइएगा, मैंने तो नहीं देखा. डिबेट कार्यक्रमों के नाम इस प्रकार रखे जाते हैं-

"कांग्रेस ने करायी संतो की हत्या"
"कन्हैया देशद्रेही है"
"तबलीगी जमात ने फैलाया कोरोना"
"पाकिस्तान बर्बाद हो गया"
"अब क्या करेगा पाकिस्तान"

डिबेट से किसान, गरीब, बेरोजगारी, भुखमरी, डूबती अर्थव्यवस्था, डूबते बैंक, निजीकरण, स्वास्थ्य समस्या, लचर तंत्र, भ्रष्टाचार आदि मुद्दे सदा गायब रहते हैं. आप डिबेट देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय मीडिया किस तरह दलाली कर रहा है.

 देश का सरकारी हो या गैर सरकारी पूरा मीडिया देश के सवर्ण वर्ग का मीडिया है. आप कोई भी चैनल देख ले आपको किसी भी चैनल में ओबीसी और दलित वर्ग के पत्रकार दिखाई नहीं देंगे. जब किसान और श्रमिकों के बेटे मीडिया में ही नहीं जाएंगे, उनके मुद्दे मीडिया में कहां से आएंगे. मीडिया को पूरी तरह से जातिवाद से नियंत्रित किया जाता है ऊपर बैठा हुआ वर्ग पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों को मीडिया में नौकरी में आने ही नहीं देते. यही सवर्ण वर्ग जिसकी जनसंख्या केवल 10% है, 90% लोगों को मुसलमान, पाकिस्तान, चीन, अमेरिका, नमाज पूजा, जुलूस, दंगे, घुसपैठिए, एनआरसीसी जैसे तरह-तरह के मुद्दों में उलझाये रहता है, जिससे कि यह लोग अपने प्रमुख मुद्दों पर ना आएं.

 टीवी आप के हितों का सबसे बड़ा हत्यारा है जो आपको आंखों वाला अंधा बना रहा है. पिछड़े-दलित मुसलमान को पिछड़े-दलित हिंदू से नफरत सिखा रहा है और पिछड़े-दलित हिंदू को पिछड़े-दलित मुसलमान से नफरत सिखा रहा है. पिछड़े-दलित लोगों को हिंदू-मुसलमान में बांटकर उन्हें किसान, मजदूर, अर्थव्यवस्था और गरीबी जैसे मुद्दों पर इकट्ठा नहीं होने देता. आपको मंदिर, मस्जिद, नमाज, पूजा, जुलूस आदि अर्थहीन मुद्दों में फंसाए रखता है.

 मीडिया देश का नंबर एक दलाल है, हमें जागना पड़ेगा और समझना पड़ेगा कि यदि हमने जल्दी टीवी देखना नहीं छोड़ा तो भविष्य में हमारे लिए बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.
 अंत में मैं कहना चाहूंगा कि सोशल मीडिया ही देश का मीडिया है. हम सबको सोशल मीडिया पर जुड़ कर एक दूसरे के साथ सही मुद्दों के लिए जोड़ना पड़ेगा. देश के दलाल मीडिया से और देश के मीडिया को दलाल बनाने वाली सरकारों से लड़ना पड़ेगा तभी हम देश को आगे बढ़ा सकते हैं. सोशल मीडिया देश के पिछड़े, दलित और अन्य सभी शोषित वर्गों की एकमात्र उद्धारक हो सकती है.

-संतोष शाक्य, लेखक

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