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ग़ज़ल
गजल- सुकूं मिलता है बस मयखाने में - संतोष शाक्य
गजल- सुकूं मिलता है बस मयखाने में - संतोष शाक्य
Santosh Shakya
December 12, 2019
सुकूं मिलता है बस मयखाने में
कोई अपना नहीं जमाने में
अब वही हमसे नजर चुराता है
खो दिया खुद को जिसको पाने में
बहू ने चार दिन में उजाड़ दिया
उम्र बीती जो घर बनाने में
-संतोष शाक्य
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