क्या आपका बच्चा भी पढ़ाई में ध्यान नहीं देता, तो यह लेख पढ़े?


क्या आपका बच्चा पढाई नहीं करता अक्सर लोग कहते रहते हैं की उनका बच्चा पढता लिखता नहीं है. यह प्रश्न मुझसे मेरे बॉस ने पूंछा कि उनका बच्चे पढ़ते लिखते नहीं है, क्या वे कुछ कर पाएंगे , कई दिन तक मैं इस पर सोचता रहा कि आखिर क्या कारन है कि उनके बच्चे पढ़ते लिखते नहीं हैं , और इस पर मैंने एक लेख लिखने की सोची , अगर आपकी समस्या भी यही है की आपका बच्चा पढता लिखता नहीं है तो ये लेख आपको वे तरीके बताएगा जिनका प्रयोग करके आप अपने बच्चे को पढने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.
इस लेख में मैं आपको सामान्य बातें बताने वाला हूँ जिनके माध्यम से आप अपने बच्चे को पढने के लिए प्रेरित कर सकते हैं , मैं आपको कोई पोथे नहीं पढ़ाने जा रहा मैं आपको वे सिद्धांत बताने जा रहा हूँ जिनका प्रयोग मैंने अपने जीवन में किया है , और आप भी बड़ी आसानी से इन सिद्धांतों का प्रयोग कर सकते है.
यदि आपको लगता है की आपका बच्चा पढता लिखता नहीं है तो मेरा पहला प्रश्न आपसे है , कि क्या आप अपने घर पर बैठकर नियमित पढाई करते है शायद आपका उत्तर होगा – नहीं . यदि आप घर पर पढाई नहीं करते तो मैं आपके बच्चे से क्या आशा रखूं , शायद मैं आपको समझा पा रहा हूँ , दोस्तों अगर हम बदलाव चाहते हैं तो हमे बदलाव का हिस्सा बनना पड़ेगा .
पुरानी कहावत है – “पहला सुख निरोगी काया” सबसे पहली बात जिससे किसी भी कार्य की शुरुआत होती है वह है स्वास्थ्य , यदि आपका बच्चा पढता लिखता नही है , अक्सर उदास रहता है तो हो सकता है की उसे कोई स्वस्थ्य समस्या हो . स्वस्थ्य रहकर ही कोई व्यक्ति मन से काम कर सकता है यदि कोई बच्चा अस्वस्थ्य है तो आपको चाहिए की पहले उसका ठीक से उपचार कराएँ , यदि आपको उसकी समस्या के बारे में नहीं पता है तो आप उससे खुलकर बात करें एवं उसे किसी डॉक्टर के पास चेकअप के लिये ले जाएँ जिससे उसके स्वास्थ्य के बारे में पूर्ण जानकारी मिल सकें. जब यह बात साफ़ हो जाये की वह पूर्णतया स्वस्थ्य हैं . तब नीचे दिए सिद्धांत काम करेंगे , जबरदस्त काम करेंगे एवं आपके बच्चे का ही नहीं आपका भी सोचने का तरीका बदल कररख देंगे .
यदि आप चाहते हैं की आपका बच्चा पढाई करे तो
पहले आप रोज पढाई कीजिये – जब आप पढेंगे तो आपके आस पास के लोगों में एक जिज्ञासा पनपेगी पढाई के प्रति , और फिर क्या है , हमने आपने सुना है की बंद बूंद से घड़ा भरता है , धीरे धीरे आपके आसपास के लोग भी किताबों में रूचि लेने लगेंगे .
उसमें सपने जगाएं – अगर आपके बच्चे में कोई सपना नहीं है तो पढाई उसे बेकार लगेगी , इसलिए जरुरी है की आप उसमें सपने भरें, उससे बात करे की वह क्या बनना चाहता है . उसके अनुसार उसका मार्गदर्शन कीजिये . उसमें नए सपने जगाने के लिए पहले आपको नयी नयी चीजें सीखनी होंगी . स्वयं के सपने एवं स्वयं की सफलता की कहानी उसे सुनाएँ
अच्छी किताबें उपलब्ध कराएँ – यदि आप चाहते है आपका बच्चा पढाई करें तो विभिन्न विषयों से जुडी पत्रिकाएं एवं किताबें उसके आस पास रखें , जिसमें उसकी रूचि होगी वह उस किताब को पढ़ेगा . इससे आप उसकी रूचि पता कर सकते हैं और उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ा सकते हैं .
उसकी जिज्ञासा का दमन न करें – अक्सर अधिकतर माँ बाप अपने बच्चे की जिज्ञासा को दबाते रहते हैं यदि उनका बच्चा उबसे कोई प्रश्न पूंछता है तो उसे चुप कर देते हैं जिससे उसे बहुत बुरा लगता है और धीरे धीरे वह प्रश्न पूछना बंद कर देता है , जिससे उसके आगे बढ़ने के सभी रास्ते बंद हो जाते है
उसके पोषण का रखें ध्यान – पोषण का ध्यान अति अवश्यक है , आपको चाहिय की आप अपने बच्चे के लिए भोजन की उचित व्यवस्था रखें , उसे सभी पोषक तत्त्व पूरी मात्र में प्राप्त हों , जिससे की वह अपने भरे बसते का भार वहां कर सके , अधिक जानकारी के लिए आप किसी डायटीशियन से भी परामर्श ले सकते हैं वह आपका पूरा चार्ट बनाकर देगा .
अब मैं आपको एक कहानी बताना चाहता हूँ , हुआ यूँ की एक बार एक महिला अपने बच्चे को लेकर महात्मा गाँधी के पास पहुंची और बोली , गाँधी जी यह मेरा बेटा है यह गुड़ बहुत खाता है जिससे इसके दांत ख़राब हो रहे हैं . महात्मा गाँधी ने थोड़ी देर कुछ सोचा और बोले कि आप एक हफ्ते के बाद मेरे पास आओ . महिला बोली जी मैं एक हफ्ते बाद आती हूँ . महिला एक हफ्ते बाद पहुंची तो गाँधी जी ने उस महिला के बेटे को अपने पास बुलाया और बोला बेटा गुड़ अधिक मत खाया करो उससे दांत ख़राब हो जाते हैं . और बोले अब आप जाईये मैंने इससे कह दिया है की अब यह गुड़ कम खाए. यह सुनकर महिला गुस्से से बोली यह बात तो आप उसी दिन कह सकते थे जब मैं पहली बार आपके पास आई थी , इस पर महात्मा गाँधी बोले कि जरुर कह सकता था पर कैसे कहता , उस समय मैं खुद ही बहुत गुड़ खाता था .
सायद इसीलिए महात्मा गाँधी ने कहा है “जो परिवर्तन आप दूसरों में देखना चाहते हैं स्वयं उसका हिस्सा बनिए” अर्थात परिवर्तन की शुरुआत खुद से कीजिये .
इसपर मैं आपको अपना लिखा एक दोहा जरुर बताना चाहूँगा

बच्चों में जो चाहते , ख़ुद में करो सुधार |
ऊपर से नीचे बहे , पानी हो या प्यार ||
- संतोष शाक्य

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